पर्यावरण क्षरण पर जनसंख्या वृद्धि का प्रभावः भारत के संदर्भ में

ShodhPatra: International Journal of Science and Humanities (SPIJSH)

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Open Access, Multidisciplinary, Peer-reviewed, Monthly Journal

Call For Paper - Volume: 1, Issue: 12, December 2024

DOI: 10.70558/SPIJSH

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Impact Factor: 6.54

Article Title

पर्यावरण क्षरण पर जनसंख्या वृद्धि का प्रभावः भारत के संदर्भ में

Author(s) Awadhesh Kumar, Dr. Shivrajsingh Yadav.
Country India
Abstract

यह शोध पत्र जनसंख्या वृद्धि और इसके पर्यावरणीय प्रभावों पर केंद्रित है, विशेष रूप से विकासशील देशों में तेजी से बढती जनसंख्या को वैश्विक संकट के रूप में देखा जा रहा है। इसमें बताया गया है कि जनसंख्या वृद्धि के कारण प्राकृतिक संसाधनों और पर्यावरण पर गहरा असर पडता है, जिससे सतत विकास की चुनौतियां उत्पन्न होती हैं। पर्यावरणीय क्षरण के प्राथमिक कारणों में जनसंख्या वृद्धि को जिम्मेदार ठहराया गया है, जो भूमि क्षरण, वन हानि, जैव विविधता के नुकसान, और ऊर्जा की बढती मांग जैसी समस्याओं को बढावा देती है। भारत, जो दुनिया की दूसरी सबसे बडी आबादी वाला देश है, इस जनसंख्या वृद्धि और पर्यावरणीय गिरावट के बीच एक महत्वपूर्ण उदाहरण प्रस्तुत करता है। भारत की जनसंख्या में तेजी से वृद्धि हो रही है, जिसका नकारात्मक प्रभाव वायु प्रदूषण, वैश्विक ऊष्मन और जलवायु परिवर्तन के रूप में सामने आ रहा है। इस संदर्भ में, वैश्विक जनसंख्या वृद्धि और इसके प्रभावों की विस्तृत चर्चा की गई है, जिसमें संयुक्त राष्ट्र संघ के अनुमान के अनुसार 2023 तक भारत के दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश बनने की संभावना जताई गई है।

Area Geography
Published In Volume 1, Issue 9, September 2024
Published On 15-09-2024
Cite This Kumar, A., & Yadav, S. (2024). पर्यावरण क्षरण पर जनसंख्या वृद्धि का प्रभावः भारत के संदर्भ में. ShodhPatra: International Journal of Science and Humanities, 1(9), pp. 7-11, DOI: https://doi.org/10.70558/SPIJSH.2024.v01.i09.20313.
DOI 10.70558/SPIJSH.2024.v01.i09.20313

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