राज मोहन झाक चेतन-स्मृति

ShodhPatra: International Journal of Science and Humanities

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Open Access, Multidisciplinary, Peer-reviewed, Monthly Journal

Call For Paper - Volume: 2, Issue: 3, March 2025

DOI: 10.70558/SPIJSH

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Impact Factor: 6.54

Article Title

राज मोहन झाक चेतन-स्मृति

Author(s) राहुल राज गुप्ता.
Country India
Abstract

राज मोहन मैथिली साहित्यक एकटा महत्वपूर्ण हस्ताक्षर छथि। साहित्यिक विधाक हेतु संरचना संबद्ध चुनौती प्रस्तुत करैत ओ समाजमे परिवर्तन आधारित अनुभव द्वारा विशिष्टताक संग रचना संसारमे संवृद्धि कएलनि। हिनक रचना प्रक्रिया समकालीन अन्य साहित्यकार लोकनिसँ भिन्न अछि। विशेष कए हुनक समग्र रचना शहरी परिवेशक चारुकात घूमैत अछि। जीवन ओ जगतक उहापोहक जतेक मनोविश्लेषित हिनक रचनामे अछि से अन्यत्र नहि भेटैछ। विषय-वस्तुक संक्षिप्तता, तकर उपस्थापनक क्रममे बिना ककरो संबोधित करैत संबोधनक निरंतरता तथा शिल्पक प्रति अतिशय सतर्कता हिनक रचना सभमे देखल जा सकैत अछि। प्रायः सभ कथामे राज मोहन झा स्वयं रहितहिटा छथि वा तँ द्रष्टाक रुपमे ‘ओ’ आकि भोक्ताक रुपमे ‘हम’। संवेदनाक निरुपण ओ विषय-वस्तुक उपस्थापन-कौशलक दृष्टिसँ राज मोहन झा अपन समस्त सहयात्री कथाकार सभमे फराक ओ बेछप लगैत छथि। सघन ओ विरल मानवीय संवेगक अत्यन्त सुकुमार मानसिक वृत्ति सभपर आधारित हिनक कथाक फलक छोट तँ अछि, मुदा तकर फरीछ ओ कलापूर्ण रेखांकन चमत्कृत करएवला होइत अछि। वैयक्तिक ओ सामाजिक धरातल पर पड़ैत अर्थतंत्रक प्रभावमे बनैत-बिगड़ैत मध्यवर्गी संबंध तथा राग-उपराग ओ अपन सीमित सामर्थ्य पर झखैत ओहि वर्गक प्रकृति चेतना राज मोहन झाक वर्गीय चेतनाक संग अत्यन्त आत्मीय संबंध रखैत अछि। राज मोहन झाक अपन विषय-वस्तुक प्रति उत्कट आत्मराग, भाषाक स्पन्दन ओ सचेष्ट मोन संग तरासल शिल्पक मनोरम छटा अधिकांश कथामे देखल जाइत अछि। गप्पक ढंगक संग यथार्थक कथा कएनिहार राज मोहन झा अपन ‘कथ्य’सँ बेसी तकर प्रस्तुतिक प्रति साकांक्ष रहैत छथि।

Area Literature
Published In Volume 2, Issue 2, February 2025
Published On 27-02-2025
Cite This गुप्ता, . . (2025). राज मोहन झाक चेतन-स्मृति. ShodhPatra: International Journal of Science and Humanities, 2(2), pp. 69-73.

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