कोराँव तहसील (जनपद प्रयागराज) में भूमि उपयोग प्रतिरूप एवं जनसंख्या वृद्धि: एक भौगोलिक अध्ययन

ShodhPatra: International Journal of Science and Humanities

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Open Access, Multidisciplinary, Peer-reviewed, Monthly Journal

Call For Paper - Volume: 2, Issue: 3, March 2025

DOI: 10.70558/SPIJSH

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Impact Factor: 6.54

Article Title

कोराँव तहसील (जनपद प्रयागराज) में भूमि उपयोग प्रतिरूप एवं जनसंख्या वृद्धि: एक भौगोलिक अध्ययन

Author(s) दिलीप कुमार, डाॅ अमित सचान.
Country India
Abstract

सारांश - भूमि उपयोग क्रमवार रूप में भूमि प्रयोग दोहन की प्रक्रिया है। वास्तविकता में भूमि प्रयोग एवं भूमि उपयोग में बहुत ही शूक्ष्म अन्तर है क्योंकि दोनों ही शब्द अलग-अलग परिस्थितियों के सूचक हैं। ‘भूमि प्रयोग’ शब्द संरक्षण एवं समय के सन्दर्भ में हैं जबकि ‘भूमि उपयोग’ शब्द व्यवहारिकता का सूचक है जो प्राप्त अवधि के सन्दर्भ में प्रयुक्त होता है। जब तक किसी क्षेत्र में भूमि उपयोग प्रकृतिदत्त विशेषताऔं के अनुरूप रहता है अर्थात् मानवीय क्रियायें भौतिक कारकों द्वारा निर्धारित होती है तब तक भूमि का आर्थिक महत्व अपेक्षाकृत बहुत ही कम एवं जीवन स्तर निम्नतम् होता है। जनसंख्या वृद्धि का अर्थ अधिकतर एक क्षेत्र विशेष में किसी समय रह रहे लोगों की संख्या में परिवर्तन से है। भूमि उपयोग ओर जनसंख्या वृद्धि एक दूसरे के पूरक हैं, अर्थात् तजी से बढ़ती हुई जनसंख्या के भरण-पोषण के लिए कृषि का विकास आवश्यक है। माल्थस के अनुसार किसी भी क्षेत्र में जनसंख्या वृद्धि भी गुणोत्तर क्षेणी के अनुसार बढ़ती है, जबकि जीविकोपार्जन के साधन समांतर श्रेणी के अनुसार बढ़ते हैं। माल्थस के अनुसार जनसंख्या की वृद्धि 1,2,4,6,8,16,32,64,128,256.......की दर से बढ़ती है। जबकि जीविकोपार्जन के साधन 1,2,3,4,5,6,7,8,9 ..........की दर से बढ़ती है। माल्थस के अनुसार प्रत्येक 25 वर्षों बाद जनसंख्या दुगनी हो जाती है। जनसंख्या बढ़ने से भोजन, आवास, शिक्षा, स्वास्थ्य आदि समस्याएँ बड़ी जटिल होती है। एक तरफ जहाँ विश्व की जनसंख्या तीव्रगति से बढ़ रही है वहीं दूसरी तरफ उसी अनुपात में खाद्यान्न की आपूर्ति नहीं हो पा रही है। जिसके चलते मानव के सामने एक विभिन्न प्रकार की खाद्यान्न सम्बंधी संकट उत्पन्न हो रहे हैं। आज विश्व के अधिकांश देश खाद्यान्न संकट से गुजर रहे है, एवं लोग भूखमरी से मर रहे हैं। इसलिए मानव को जागरूक करना होगा तथा जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित करते हुए कृषि उत्पादन पर जोर दे देना होगा तभी जनसंख्या वृद्धि एवं भूमि खाद्य संकट की समस्या से मुक्त हो सकेगा। शब्द संक्षेप - भूमि उपयोग प्रतिरूप, जनसंख्या वृद्धि, जनसंख्या घनत्व, विश्व खाद्य संकट, साक्षरता लिंगानुपात।

Area Geography
Published In Volume 2, Issue 2, February 2025
Published On 23-02-2025
Cite This कुमार, ., & सचान, . . (2025). कोराँव तहसील (जनपद प्रयागराज) में भूमि उपयोग प्रतिरूप एवं जनसंख्या वृद्धि: एक भौगोलिक अध्ययन. ShodhPatra: International Journal of Science and Humanities, 2(2), pp. 41-45.

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