Article Title |
मानवाधिकार और भारतीय संविधान: समसामयिक मुद्दे |
Author(s) | Unnati Sahai. |
Country | India |
Abstract |
आज के परिवर्तनकारी समय में क्या मनुष्य केन्द्रबिन्दु है? वर्तमान काल में शासन, उद्योग, विकास इत्यादि की बढ़ती हुई प्रतिस्पर्धा ने मनुष्य को पीछे छोड़ दिया है, यह स्थिति आज से ही नहीं, अपितु प्राचीनकाल से ही चली आ रही है। प्रत्येक मनुष्य को जीवन जीने की स्वतंत्रता तथा समाज में सम्मानजनक स्थिति पाने का अधिकार होता है, यह जीवन की प्रथम आवश्यक इकाई है, प्रत्येक व्यक्ति के कुछ आधारभूत व प्राकृतिक अधिकार होते है जो उसके जीवन के अस्तित्व को बनाये रखने के लिए आवश्यक होते है। अतः मानव जाति के इन्ही मूलभूत अधिकारों की व्याख्या करते हुए, 10 दिसम्बर,1948 ‘मानवाधिकार की सार्वभौम घोषणा’’ चार्टर पर विविध देशों द्वारा हस्ताक्षर कर यह स्वीकृति व्यक्त की गयी कि मानवाधिकारों की हर कीमत पर रक्षा की जानी चाहिए। यद्यपि भारतीय संविधान में वर्णित भाग-3 भी इन्ही बातों पर सहमति व्यक्त करता है। परन्तु आज इन्हीं मानवाधिकारों को वैश्विक स्तर पर अनेक चुनौतियों एवं संकटों का सामना करना पड़ रहा हैे। जैसे गैर विधिक प्रवासी और शरणार्थी, मानव व्यापार, लिंग आधारित विभेद, प्रजातीयता, जलवायु परिवर्तन एवं मानवाधिकार, आतंकवाद कामगार वर्गो का अधिकार, बाल शोषण इत्यादि। अतः प्रस्तुत लेख मानवाधिकारों के संकटो के संदर्भ में विमर्शात्मक विवरण प्रस्तुत करता ह |
Area | Political Science |
Published In | Volume 1, Issue 10, October 2024 |
Published On | 25-10-2024 |
Cite This | Sahai, U. (2024). मानवाधिकार और भारतीय संविधान: समसामयिक मुद्दे. ShodhPatra: International Journal of Science and Humanities, 1(10), pp. 87-94, DOI: https://doi.org/10.70558/SPIJSH.2024.v01.i10.24108. |
DOI | 10.70558/SPIJSH.2024.v01.i10.24108 |